रामायण की महिमा ( RAMAYAN KI MAHIMA)

ramayan ki mahima

आज हम रामायण की महिमा के बारे में जानेंगे जिसका वर्णन श्री रामायण में दिया गया है।

जब ऋषियों ने सुत जी से कलयुग के सभी दोषों से पार पाने के लिए उपाय पूछा तो सुत जी ने कहा-मुनिवरो आप सब लोग सुनिए आपको जो सुना अभीष्ट है वह मैं बताता हूं ।

  • महात्मा नारद जी ने सनत्कुमार को जिस रामायण नमक महाकाव्य का गान सुनाया था वह समस्त पापों का नाश और दुष्ट ग्रहों की बाधा का निवारण करने वाला है वह संपूर्ण वेद अर्थो की सम्मति के अनुकूल है ।
  • रामायण से समस्त दुख स्वप्नो का नाश हो जाता है वह धन्यवाद के योग्य तथा भोग और मोक्ष रूप फल प्रदान करने वाला है। उसमें भगवान श्री रामचंद्र जी की लीला कथा का वर्णन है ।यह काव्य अपने पाठक और श्रोताओं के लिए समस्त कल्याणमय सिद्धिया को देने वाला है।
  • धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों का साधन है महान फल देने वाला है । रामायण पुण्यमय फल प्रदान करने की शक्ति रखता है आप लोग एकाग्रचित होकर इस श्रवण करें ।
  • संपूर्ण जगत के हित साधन में लगे रहने वाले जो मनुष्य सदा रामायण के अनुसार बर्ताव करते हैं वही संपूर्ण शास्त्रों के मर्म को समझने वाले और कृतार्थ हैं ।
  • रामायण धर्म अर्थ काम और मोक्ष का साधन तथा परम अमृत रूप है अतः सदा भक्ति भाव से उसका श्रवण करना चाहिए ।
  • जिस मनुष्य के पूर्व में सारे पाप नष्ट हो जाते हैं उसी का रामायण के प्रति अधिक प्रेम होता है यह निश्चित बात है।
  • रामायण परम पुण्य दायक उत्तम काव्य का श्रवण करें जिसके सुनने से जन्म जरा और मृत्यु के भय का नाश हो जाता है तथा श्रवण करने वाला मनुष्य पाप दोष से रहित होकर अच्युतस्वरूप हो जाता है ।
  • रामायण काव्य अत्यंत उत्तम वरणीय और मनोवांछित फल देने वाला है उसका पाठ और श्रवण करने वाले समस्त जगत को शीघ्र ही संसार सागर से पार कर देता है उस आदि काव्य को सुनकर मनुष्य प्रभु श्री रामचंद्र जी के परम पद को प्राप्त कर लेता है ।
  • जो ब्रह्म रुद्र और विष्णु नमक भिन्न-भिन्न रूप धारण करके विश्व की सृष्टि संघार और पालन करते हैं उन आदि देव परमात्मा श्री रामचंद्र जी को अपने हृदय मंदिर में स्थापित करके मनुष्य मोक्ष का भाग होता है ।
  • जो नाम तथा जाति आदि विकल्पों से रहित, कार्य कारण से परे वेदांत शास्त्र के द्वारा जानने योग्य एवं अपने ही प्रकाश से प्रकाशित होने वाला परमात्मा है उसका समस्त वेदों और पुराणों के द्वारा साक्षात्कार होता है इस रामायण के अनुशीलन से भी उसी की प्राप्ति होती है ।
  • जो भगवान श्री रामचंद्र जी के मंगलमय चरित्र का श्रवण करता है वह इस लोक और परलोक में भी अपनी समस्त उत्तम कामनाओं को प्राप्त कर लेता है ।
  • वह सब पापों से मुक्त हो अपनी 21 पीढ़ियों के साथ भगवान श्री रामचंद्र जी के उसे परमधाम में चला जाता है जहां जाकर मनुष्य को कभी शोक नहीं करना पड़ता है ।
  • रामायण आदि काव्य है यह स्वर्ग और मोक्ष देने वाला है अतः संपूर्ण धर्म से रहित घोर कलयुग आने पर 9 दिनों में रामायण की अमृतमय कथा को श्रवण करना चाहिए ।
  • जो लोग भयंकर कलिकाल में श्री राम नाम का आश्रय लेते हैं वही कृतार्थ होते हैं । कलयुग उन्हें बाधा नहीं पहुंचता ।
  • जिस घर में प्रतिदिन रामायण की कथा होती है वह तीर्थ रूप हो जाता है वहां जाने से दुष्टों के पापों का नाश होता है।
  • इस शरीर में तभी तक पाप रहते हैं जब तक मनुष्य श्री रामायण कथा का भली भांति श्रवण नहीं करता।
  • संसार में श्री रामायण कथा परम दुर्लभ ही है जब करोड़ों जन्मों के पुण्य का उदय होता है तभी उसकी प्राप्ति होती है ।
  • कार्तिक माघ और चैत्र के शुक्ल पक्ष में रामायण के श्रवण मात्र से सौदास भी श्राप मुक्त हो गए थे।
  • सोदास ने महर्षि गौतम के श्राप से राक्षस शरीर प्राप्त किया था वे रामायण के प्रभाव से ही पुनः उसे श्राप से छुटकारा पा सके थे।
  • जो भी मनुष्य भगवान श्री रामचंद्र जी की भक्ति का आश्रय ले प्रेम पूर्वक इस कथा का श्रवण करता है वह बड़े-बड़े पापों तथा पातक आदि से मुक्त हो जाता है।

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