राजा दशरथ की अयोध्या कैसी दिखती थी ? वाल्मीकि रामायण के अनुसार

राजा दशरथ की अयोध्या कैसी दिखती थी ? वाल्मीकि रामायण के अनुसार

आज हम राजा दशरथ की अयोध्या नगरी कैसी दिखती थी ? और वाल्मीकि रामायण में इसका वर्णन मिलता है उसके बारे में जानेंगे |

वाल्मीकि रामायण में बताया गया है–

कोशल नामसे प्रसिद्ध एक बहुत बड़ा जनपद है, जो सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है।
वह प्रचुर धन-धान्य से सम्पन्न, सुखी और समृद्धिशाली है | उसी जनपद में अयोध्या नामकी एक नगरी है, जो समस्त लोकोंमें विख्यात है। उस पुरीको स्वयं महाराज मनुने बनवाया और बसाया था |

वह अयोध्या पूरी बारह योजन लम्बीऔर तीन योजन चौड़ी थी। ( एक योजन लगभग 8 किलोमीटर )

जैसे स्वर्ग में देवराज इन्द्र ने अमरावती पुरी बसायी थी, उसी प्रकार धर्म और न्यायके बलसे अपने महान्‌ राष्ट्रकी वृद्धि करनेवाले राजा दशरथ ने अयोध्यापुरीको पहलेकी अपेक्षा विशेषरूपसे बसाया था |

अयोध्या पुरी बड़े-बड़े फाटकों और किवाड़ों से सुशोभित थी। उसके भीतर पृथक्‌-पृथक्‌ बाजारें थीं। वहाँ सब प्रकारके यन्त्र और अस्त्र-शस्त्र संचित थे। उस अयोध्या पुरीमें सभी कलाओंके शिल्पी निवास करते थे | स्तुति-पाठ करनेवाले सूत और वंशावलीका बखान करनेवाले मागध वहाँ भरे हुए थे। वह पुरी सुन्दर शोभासे सम्पन्न थी। उसकी सुषमाकी कहीं तुलना नहीं थी।

अयोध्या पूरी में ऊँची-ऊँची अट्टालिकाएँ थीं, जिनके ऊपर ध्वज फहराते थे। सैकड़ों शतध्नियों (तोपों) से वह पुरी व्याप्त थी | उस पुरीमें ऐसी बहुत-सी नाटक-मण्डलियाँ थीं, जिनमें केवल स्त्रियाँ ही नृत्य एवं अभिनय करती थीं। उस नगरी में चारों ओर उद्यान तथा आमोंके बगीचे थे।

लम्बाई और चौड़ाई की दृष्टिसे वह पुरी बहुत विशाल थी तथा साखूके वन उसे सब ओरसे घेरे हुए थे |

उसके चारों ओर गहरी खाई खुदी थी, जिसमें प्रवेश करना या जिसे लाँघना अत्यन्त कठिन था। वह नगरी दूसरोंके लिये सर्वथा दुर्गम एवं दुर्जय थी।

अयोध्या के महलोंका निर्माण नाना प्रकारके रतनो हुआ था। वे गगनचुम्बी प्रासाद पर्वतोंके समान जान पड़ते थे। उनसे उस पुरीकी बड़ी शोभा हो रही थी।

उसके महलों पर सोने का पानी चढ़ाया गया था अयोध्या नगरी सब प्रकार के रत्नोंसे भरी-पूरी तथा सतमहले प्रासादोंसे सुशोभित थी॥ वहाँ का जल इतना मीठा या स्वादिष्ट था, मानो ईखका रस हो॥

भूमण्डल की सर्वोत्तम अयोध्या नगरी दुन्दुभि, मृदंग, वीणा, पणव आदि वाद्योंकी मधुर ध्वनिसे अत्यन्त गूँजती रहती थी |

देवलोक में तपस्यासे प्राप्त हुए सिद्धोंक विमानकी भाँति उस अयोध्या पुरी का भूमण्डलमें सर्वोत्तम स्थान था। वहाँ के सुन्दर महल बहुत अच्छे ढंगसे बनाये और बसाये गये थे।

उनके भीतरी भाग बहुत ही सुन्दर थे। बहुत-से श्रेष्ठ पुरुष उस अयोध्या पुरीमें निवास करते थे |

अम्निहोत्री, शम-दम आदि उत्तम गुणोंसे सम्पन्न तथा छहों अंगों सहित सम्पूर्ण वेदोंके पारंगत विद्वान्‌ श्रेष्ठ ब्राह्मण उस अयोध्या पुरीको सदा घेरे रहते थे। वे सहस्नोंका दान करनेवाले और सत्यमें तत्पर रहनेवाले थे।

ऐसे महर्षिकल्प महात्माओं तथा ऋषियोंसे अयोध्यापुरी सुशोभित थी तथा राजा दशरथ उसकी रक्षा करते थे॥

तो ऐसे हमने अयोध्या के बारे में जाना जिसका वर्णन वाल्मीकि रामायण में बताया गया है |

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