शिवपुराण का माहात्म्य ( SHIV PURAN KA MAHATMYE)

शिवपुराण का माहात्म्य ( SHIV PURAN KA MAHATMYE)

शिवपुराण का माहात्म्य ( SHIV PURAN KA MAHATMYE)

आज हम भगवान देवादि देव महादेव शिव शंकर की शिव महापुराण की महिमा के बारे में जानेंगे |
इसकी पुराण की महिमा का न तो आदि है न ही अंत है | इसकी महिमा अनंत है |


शिवपुराण का वर्णन सूतजी ऋषि शौनक आदि ऋषियों को करते है | जब शौनक आदि ऋषि सूत जी से प्रश्न करते है कि कोई ऐसा पुराण बताए जिससे हमको –
1 . भगवत्भक्ति प्राप्त हो |
2 . जो सदाचार को बढ़ाने वाला हो |
3 . जो कलियुग के जीवो को शुद्ध करने वाला हो |
4 . जो हमको पवित्र करे |
5 . जो विवेक की वृद्धि करने वाला हो |
6 . जो हम सबको भगवान शिव की प्राप्ति (मोक्ष) कराने वाला हो |

शौनक ऋषि ने सूत जी से ये प्रश्न किया था तभी सूतजी ने उनको शिवपुराण के बारे में बताया था |
सूतजी भगवान् शिवपुराण की महिमा में बताते है कि –

1 . भगवान शिव के इस पुराण को सुनने से मनुष्य अपने सब पापो से मुक्त हो जाता है तथा बड़े बड़े उत्कृष्ट भोगो का उपभोग करके ( अंत में ) शिवलोक (मोक्ष पद) को प्राप्त कर लेता है |
2 . जिस बुद्धिमान मनुष्य के पूर्वजन्म के बड़े पुण्य होते है , उसी महाभाग्यशाली व्यक्ति की शिवपुराण में प्रीति होती है |


3 . इसके पठन और श्रवण से शिवभक्ति पाकर श्रेष्ठम स्तिथि में पहुँचा हुआ मनुष्य शीघ्र ही शिव पद को प्राप्त कर लेता है |
4 . इसका प्रेमपूर्वक श्रवण संपूर्ण वांछित फलो को देने वाला है |


5 . शिव महापुराण चित की शुद्धि के लिए सबसे उत्तम साधन है |
6 . राजसु यज्ञ और सैकड़ो अग्निष्टोमय यज्ञो से जो पुण्य प्राप्त होता है , वह भगवान शिव की कथा के सुनने मात्रा से हो जाता है |


7 . जो लोग इस श्रेष्ट शिवपुराण का श्रवण करते है , उन्हें मनुष्य नहीं समझना चाहिए , वे रुद्रस्वरूप ही है , इसमें संदेह नहीं है |
8 . इस पुराण का श्रवण और कीर्तन करने वालो के चरण कमल की धूलि को मुनिगण तीर्थ ही समझते है |


9 . जो पुरुष इसका शिवपुराण की कथा को सुनता है, वह सुनने वाला पुरुष कर्मरूपी महावन को जलाकर संसार से पार हो जाता है |
10 . जो प्राणी परमपद को प्राप्त करना चाहते है , उन्हें सदा भक्तिपूर्वक इस निर्मल शिव पुराण का श्रवण करना चाहिए |


11 . शिवपुराण का श्रवण और भगवान शंकर के नाम का संकीर्तन – दोनों ही मनुष्य को कल्पवृक्ष के समान सम्यक फल देने वाले है , इसमें संदेह नहीं है |
12 . अमृतपान करने से तो केवल अमृतपान करने वाला ही मनुष्य अजर-अमर होता है किन्तु भगवान शिव का यह कथामृत संपूर्ण कुल को ही अजर-अमर कर देता है |


13 . शिव पुराण के श्रवण मात्र से भगवान सदाशिव उस प्राणी के ह्रदय में विराजमान हो जाते है |
14 . जो मनुष्य इस शिव पुराण को आदरपूर्वक पूरा पढता है , वह जीवन्मुक्त कहा जाता है |


15 . जिस घर में शिव पुराण की कथा होती है , वह घर तीर्थस्वरूप ही है और उसमे निवास करने वालो के पाप यह नष्ट कर देता है |
16 . जब तक इस उत्तम शिवपुराण को सुनने का सुअवसर नहीं प्राप्त होता तब तक अज्ञानवश प्राणी इस संसार- चक्र में भटकता रहता है |


17 . हजारो अश्वमेद्ययज्ञ और सेकड़ो वाजपेयज्ञ शिव पुराण की सोलहवीं कला की भी बराबरी नहीं कर सकते |
18 . कोई अधम प्राणी जबतक भक्तिपूर्वक शिव पुराण का श्रवण नहीं करता तभी तक उसे पापी कहा जा सकता है |


19 . गंगा आदि पवित्र नदिया , सात पुरिया तथा गया आदि तीर्थ इस शिवपुराण की समता कभी नहीं कर सकते |
20 . जो प्रतिदिन आदरपूर्वक इस शिव पुराण का पूजन करता है , वह इस संसार में भोगो को भोगकर अंत में भगवान शिव के पद ( मोक्ष ) को प्राप्त कर लेता है |


21 . यह शिवपुराण धर्म, अर्थ, काम, और मोक्षरूप चारो पुरुषार्थो को देने वाला है |
22. शिव पुराण वेदांत का सार सर्वस्व है | शिवपुराण सुनाने वालो और सुनने वालो का समस्त पाप राशियों से उद्धार करने वाला है |


23 . कलियुग के सभी दोषो का नाश करता है | धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष – चारो पुरुषार्थो को देने वाला है |
24 . शिव पुराण के अध्यनन मात्र से कलियुग के पापी जीव श्रेठतम गति (मोक्ष) को प्राप्त हो जायेंगे |


25 . ब्रह्महत्या जैसे महान पाप भी शिवपुराण से नष्ट हो जाते है |


26 . जो भक्तिपूर्वक इस शिवपुराण का एक श्लोक या आधा श्लोक भी पढता है वह उसी क्षण पाप से छुटकारा पा जाता है |
27 . जो आलस्यरहित होकर प्रतिदिन भक्तिपूर्वक इस शिवपुराण का यथाशक्ति पाठ करता है , वह जीवन्मुक्त कहाँ जाता है |


28 . जो इस शिवपुराण की सदा पूजा करता है, वह निःसंदेह प्रतिदिन अश्वमेद्ययज्ञ फल प्राप्त करता है |
29 . इस शिवपुराण का पाठ करने वाला और सुनने वाला व्यक्ति जो जो श्रेष्ठ कर्म करता है, वह कोटिगुना हो जाता है ( कोटिगुना फल देता है) |


30 . शिव पुराण में साथ सहितााए है 1 . विघवेश्वरसहिता 2 . रूद्रसहिता 3 . शतरूद्रसहिता 4 . कोटिरुद्रसहिता 5 . उमासहिता 6. कैलाससहिता 7 . वायवीयसहिता
31 . लोक में ढूँढ़ने पर भी ऐसे किसी पाप को नहीं देखा जिसे रूद्रसहिता नष्ट न कर सके |


32 . जो व्यक्ति आदरपूर्वक शिवपुराण को पढता है, वह जीवन्मुक्त कहा जाता है |
33 . यह पुराण धर्म,अर्थ,काम,और मोक्ष सब कुछ प्रदान करने वाला है |


34 . जो बड़े आदर से इसे पढता और सुनता है , वह भगवान् शिव का प्रिय होकर परम गति (मोक्ष) को प्राप्त कर लेता है |
35.शिवपुराण हमारे मन को पवित्र करती है |

36.शिव पुराण से भगवान शिव को प्रसन्न और उनकी कृपा प्राप्त होती है |
37.जो मनुष्य पापी,दुराचारी,खल तथा काम, क्रोध आदि विकारो में निरनतर डूबे रहते है , वे भी शिवपुराण से अवश्य शुद्ध हो जाते है

38. यह शिवपुराण सांसारिक भोग और मोक्ष को देने वाली है |
39.शिवपुराण सभी पापो को नष्ट करने वाली है और भगवान शिव को प्रसन्न करने वाली है |

40.जो अत्यंत लालची , सत्यविहीन, अपने माता-पिता से द्वेष करने वाले ,पाखंडी तथा हिंसक वृति के है वे भी इस पुराण से शुद्ध हो जाते है |
41.अपने वर्णाश्रम धर्म का पालन न करने वाले और ईर्ष्यारहित लोग भी कलियुग में शिवपुराण से पवित्र हो जाते है |

42.जो लोग छल -कपट करने वाले , क्रूर स्वभाव वाले और अत्यंत निर्दयी है , वे भी शुद्ध हो जाते है |
43.इस पुराण के श्रवण का पुण्य बड़े बड़े पापो को नष्ट करता है , सांसारिक भोग तथा मोक्ष प्रदान करता है और भगवान शंकर को प्रसन्न करता है |

तो ऐसे आपने शिव महापुराण की महिमा के बारे में जाना | इसकी महिमा अनंत है |
शिवपुराण को मेँ प्रसन्नचित से सदा वंदन करता हूँ | भगवान् शंकर आप पर और मुझपर प्रसन्न होए | शिव पुराण का माहात्म्य अनंत है | इसका सम्पूर्ण माहात्म्य तो भगवान शंकर ही जानते है |

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