श्रीमद्भागवत पुराण का माहात्म्य ( SHRIMAD BHAGVAT PURAN KA MAHATMYE)

श्रीमद्भागवत पुराण का माहात्म्य ( SHRIMAD BHAGVAT PURAN KA MAHATMYE)

SHRIMAD BHAGVAT PURAN KA MAHATMYE

दोस्तों आज हम श्रीमद्भागवत पुराण का माहात्म्य क्या है ? इसके बारे में जानते है | इसका माहात्म्य स्वय श्रीभगवान ने बताया है |
1 . जो मनुष्य प्रतिदिन भागवतपुराण का पाठ करता है , उसे एक एक अक्षर के उच्चारण के साथ कपिल गौ दान देने का पुण्य होता है |
2 . जो प्रतिदिन भागवत के आधे श्लोक या चौथाई श्लोक का पाठ अथवा श्रवण करता है , उसे एक हजार गोदान का फल मिलता है |


3 . जो प्रतिदिन पवित्रचित होकर भागवत के एक श्लोक का पाठ करता है, वह मनुष्य अठारा पुराणों के पाठ का फल पा लेता है |
4 . जहाँ नित्य मेरी कथा होती है , वहाँ विष्णु पार्षद प्रह्लाद आदि विद्यमान रहते है |


5 . जो मनुष्य सदा मेरे भागवत शास्त्र की पूजा करते है , वे कलियुग के अधिकार से अलग है , उनपर कलियुग का वश नहीं चलता |
6 . जो मानव अपने घर में वैष्णव शास्त्रों की पूजा करते है , वे सब पापो से मुक्त होकर देवताओ द्वारा वन्दित होते है |


7 . जो लोग विष्णु भक्त पुरुष को भक्तिपूर्वक भागवत शास्त्र समर्पण करते है , वे अनन्तकाल तक मेरे वैकुण्ठ धाम में वास करते है |
8 . कलियुग में जहाँ -जहाँ पवित्र भागवत- शास्त्र रहता है , वहाँ वहाँ सदा ही मेँ देवताओ के साथ उपस्तिथ रहता हूँ | वहाँ नदी,नद और सरोवर रूप में प्रसिद्ध सभी तीर्थ वास करते है , संपूर्ण यज्ञ, सात पुरिया और सभी पावन पर्वत वहाँ नित्य वास करते है |


9 . यश , धर्म और विजय के लिए तथा पापक्षय एवं मोक्ष की प्राप्ति के लिए धर्मात्मा मनुष्य को सदा की भागवत – शास्त्र का श्रवण करना चाहिए |
10 . श्रीमद्भागवत आयु, आरोग्य और पुष्टि को देने वाला है , इसका पाठ अथवा श्रवण करने से मनुष्य सब पापो से मुक्त हो जाता है |


11 . जिसके घर में एक श्लोक, आधा श्लोक अथवा श्लोक का एक ही चरण लिखा रहता है , उसके घर में मेँ निवास करता हूँ |
12 . जहॉ -जहॉ भागवत की कथा होती है , वहाँ – वहाँ में उसी प्रकार जाता हूँ जैसे पुत्रवत्सला गौ अपने बछड़े के पीछे पीछे जाती है |


13 . जो मेरी कथा कहता है , जो सदा उसे सुनने में लगा रहता है तथा कथा से मन ही मन प्रसन्न होता है उस मनुष्य का मेँ कभी त्याग नहीं करता |
14 . जो लोग महाराजोपित सामग्रियों से युक्त होकर भक्तिपूर्वक श्रीमद्भागवत की कथा सुनते है , मेँ उनके वशीभूत हो जाता हूँ |


15 . जो लोग मेरे पर्वो से सम्बन्ध रखने वाले सभी उत्सवों में मेरी प्रसन्नता के लिए वस्त्र,आभूषण,पुष्प , धुप और दीप आदि उपहार अर्पण करते हुए परम उत्तम श्रीमद्भागवत पुराण का भक्तिपूर्वक श्रवण करते है , वे मुझे अपने वश में कर लेते है |

तो ऐसे आपने ऐसे श्रीमद्भागवत पुराण के माहात्म्य के बारे में जाना | श्रीमद्भागवत पुराण का माहात्म्य अनंत है |

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